विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को ‘मंकीपॉक्स’ बीमारी को लोक स्वास्थ्य के लिए अंतरराष्ट्रीय आपदा बताया है। इसके बाद प्रदेश में लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने सभी कलेक्टर, सीएमएचओ, मेडिकल कॉलेज के डीन को पत्र लिखकर सतर्क रहने के लिए कहा है।
फिलहाल अफ्रीकी देशों में फैल रहा मंकीपॉक्स
उल्लेखनीय है कि मंकीपॉक्स बीमारी का केंद्र वर्तमान में अफ्रीका के देशों में है। इस बीमारी का पहला मामला भारत में 14 जुलाई 2022 को केरल में पाया गया था। इसके बाद 30 रोगी केरल एवं दिल्ली में मिले। 27 मार्च 2024 के बाद से देश में कोई रोगी नहीं मिला है।
यह करना होगा
ऐसे समस्त संभावित मामले एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम के जिला सर्विलांस अधिकारी की निगरानी में रहेंगे।
संभावित संक्रमण की स्थिति में मंकीपॉक्स वायरस परीक्षण के लिए सैंपल एनआइवी पुणे भेजे जाएंगे।
पॉजिटिव प्रकरण पाए जाने पर कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग कर विगत 21 दिनों में रोगी के संपर्क में आये व्यक्तियों की पहचान की जाएगी।
ऐसी फैलती है मंकीपॉक्स बीमारी
- मंकीपॉक्स वायरस पशुओं से मनुष्य में और मनुष्य से मनुष्य में भी फैल सकता है।
- वायरस कटी-फटी त्वचा, श्वास लेने, आंख, नाक या मुंह के माध्यम से शरीर में प्रवेश करता है।
- संक्रमित पशु से मानव में वायरस का संचरण काटने, खरोंचने, शरीर के तरल पदार्थ एवं घाव से सीधे या अप्रत्यक्ष संपर्क से हो सकता है।
- संक्रमण होने के पर ठंड के साथ तेज बुखार, सिरदर्द और लिंफ नोड में सूजन होती है। लगभग 98 प्रतिशत रोगी ठीक हो जाते हैं।