इंदौर | कोरोना वायरस संक्रमण शरीर को कई तरह से प्रभावित कर सकता है। तमाम अध्ययनों से पता चलता है कि कोविड-19 से ठीक हो चुके लोगों में हृदय रोग, फेफड़ों से संबंधित समस्याएं और कुछ लोगों में मधुमेह की दिक्कत भी देखने को मिली है। इस तरह की समस्याओं को लॉन्ग कोविड के असर के रूप में देखा जा रहा है। कोरोना की दूसरी लहर में किडनी रोगियों को खासतौर पर सतर्क रहने की जरूरत है। अध्ययन में पाया है कि कोविड-19 से ठीक हो रहे लोगों में किडनी फेल होने की समस्याएं देखने को मिल रही हैं। इस आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना वायरस किडनी को भी नुकसान पहुंचा सकता है।
किडनी कोशिकाओं में आसानी से प्रवेश कर सकता है वायरस
इस अध्ययन के लिए इजराइल स्थित, शीबा मेडिकल सेंटर के प्रोफेसर बेंजामिन डेकेल के नेतृत्व वाली टीम ने प्रयोगशाला में किडनी की कोशिकाओं को सार्स-सीओवी-2 वायरस से संक्रमित कर उसका अध्ययन किया। शोधकर्ताओं ने पाया कि कोरोना वायरस किडनी कोशिकाओं में प्रवेश कर न सिर्फ उन्हें संक्रमित कर सकता है, साथ ही इन कोशिकाओं में वायरस अपनी संख्या को भी आसानी से बढ़ा सकता है। हालांकि गनीमत यह है कि इस कारण से लोगों में मौत होने का खतरा न के बराबर होता है।
अंग खराब होने की आशंका
सार्स-कोव-2 वायरस फेफड़ों के जरिये रक्तवाहिकाओं में पहुंचकर किडनी सहित विभिन्न अंगों को प्रभावित कर सकता है। आईसीयू में भर्ती पांच फीसदी मरीज ‘एक्यूट किडनी फेलियर’ तक के शिकार हो रहे हैं। इसमें उन्हें डायलिसिस पर रखने की जरूरत पड़ती है। ऐसे मरीजों के कोरोना से दम तोड़ने की आशंका भी अधिक पाई गई है।
डॉक्टर से राय-मशविरा के बाद ही लें स्टेरॉयड
कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाले स्टेरॉयड किडनी को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। हालांकि, इनके इस्तेमाल से ब्लड शुगर का स्तर अनियंत्रित हो सकता है। बढ़ा हुआ ब्लड शुगर किडनी के लिए नुकसानदायक है। ऐसे में अगर किडनी रोगी हैं और कोरोना की चपेट में आ जाते हैं तो डॉक्टर से राय-मशविरा के बाद ही स्टेरॉयड लें।
समय रहते सही इलाज जरूरी
डॉ. वर्मा ने बताया कि पहले से किडनी के मरीज जो स्थिर थे, लेकिन कोरोना के दौरान उनकी किडनी पर असर पड़ा, उन्हें भी गंभीर अवस्था में जाने से रोका जा सकता है। बशर्ते, वे घबराएं नहीं और सही इलाज लें। समय रहते सही इलाज मिलने पर 80 साल तक की उम्र के ऐसे मरीज भी ठीक होकर घर लौटे हैं, जिन्हें किडनी की गंभीर बीमारी थी।
कुछ मामलों में होता है डायलिसिस
डॉ. वर्मा ने स्पष्ट किया कि सार्स-कोव-2 वायरस की जद में आए कुछ ऐसे लोग, जो पहले से किडनी के मरीज थे, उनमें से बहुत कम को कोरोना की वजह से पूरी तरह से डायलिसिस पर निर्भर होना पड़ता है। कुछ मामलों में पेशाब में वायरस मिलना यह दर्शाता है कि संक्रमण किडनी में भी पहुंच सकता है। हालांकि, ऐसा बहुत कम मरीजों में होता है।
क्या करें, क्या न करें
- घर से बाहर निकलने से बचें, डॉक्टरी से सलाह के लिए ऑडियो या वीडियो कॉल का सहारा लें।
- डायलिसिस कराने वाले मरीज अस्पताल में हर समय मास्क, दस्ताने, सर्जिकल कैप पहने रहें।
- अस्पताल में कुछ भी खाने से बचें, घर लौटकर कपड़े बदलें, साबुन से हाथ-मुंह धोने के बाद ही कुछ खाएं।
पेनकिलर के सेवन से बचें
- किडनी रोगी कोरोना होने पर किडनी फंक्शन टेस्ट जरूर करवाएं।
- दर्द या बुखार होने पर पैरासिटामॉल लें, पेनकिलर के सेवन से बचें।
- ब्लड शुगर और रक्तचाप नियंत्रित रखें, नमक के सेवन में कमी लाएं।
- आयुर्वेदिक दवाओं से परहेज करें, कोविड टीका लगवाने में देरी न करें।