बचपन में मिलने वाले संस्कार ही किसी व्यक्ति के जीवन को संवारते या बिगाड़ते हैं। उसके जीवन की बड़ी घटनाएं क्या और कैसे मोड़ लेंगी, इसका फैसला कई बार वे संस्कार करते हैं, जिनके बीज बचपन में उसके जीवन में पड़े हैं। यह बात प्राचीन काल में जितनी महत्वपूर्ण थी, आज जमाने में भी उतनी ही अहम है। यही वजह है कि हर माता-पिता और शिक्षक की कोशिश बच्चे को शिक्षित करने के साथ संस्कारित करने की भी होती है। संस्कारों का अच्छा या बुरा असर कैसे जिंदगी भर उसका पीछा करता है लेखक-निर्देशक संकल्प रावल की शॉर्ट फिल्म संस्कार बहुत अच्छे ढंग से दिखाती है|
संकल्प ने अपनी इस फिल्म में अच्छे प्रयोग किए हैं। अव्वल तो उन्होंने फिल्म को लगभग संवादहीन रखा है और इसके सीन ही सारी बातें करते हैं। इससे भी बढ़ कर वह स्प्लिट स्क्रीन यानी स्क्रीन को दो हिस्सों में बांट कर यह कहानी कह रहे हैं। आप एक ही व्यक्ति के जीवन के दो अलग-अलग दृश्यों को देखते हैं। संस्कार एक रोचक थ्रिलर है और 11 मिनिट की यह फिल्म असर छोड़ती है। नमन जैन और नमित दास ने फिल्म में मुख्य भूमिका निभाई है। पद्म दामोदरन और प्रिया टंडन भी अहम भूमिकाओं में हैं। फिल्म को कई अंतरराष्ट्रीय समारोहों में दिखाया और सराहा जा चुका है। जिनमें लंदन स्ट्रेंथम फिल्म फेस्टिवल, वेंकुवर एशियन फिल्म फेस्विटल और कांसास फिल्म फेस्टिवल प्रमुख हैं।