माघ के महीने को पहले माध कहा जाता था जो बाद में माघ हो गया. माध शब्द का संबंध श्रीकृष्ण के एक स्वरूप “माधव” से है. इस महीने को अत्यंत पवित्र माना जाता है. इस महीने में ढेर सारे धार्मिक पर्व आते हैं. साथ ही प्रकृति भी अनुकूल होने लगती है. इसी महीने में संगम पर “कल्पवास” भी किया जाता है जिससे व्यक्ति शरीर और आत्मा से नया हो जाता है. इस बार माघ का महीना 29 जनवरी से 27 फरवरी तक रहेगा.
माघ में खान-पान में बदलाव
गर्म पानी को धीरे-धीरे छोड़कर सामान्य जल से स्नान करना शुरू कर देना चाहिए. सुबह देर तक सोना तथा स्नान न करना अब स्वास्थ्य के लिए उत्तम नहीं होगा. इस महीने से भारी भोजन छोड़कर हलके भोजन की और आना चाहिए. इस महीने में तिल और गुड का प्रयोग विशेष लाभकारी होता है. इस माह में अगर केवल एक वेला भोजन किया जाए तो आरोग्य और एकाग्रता की प्राप्ति होती है.
माघ के के पर्व और त्योहार
संकष्ठी चतुर्थी- संकष्ठी चतुर्थी मनाने से संतान प्राप्ति होती है और संतान की चिंताएं दूर होती हैं
षठतिला एकादशी- इसमें तिल का विशेष प्रयोग करके स्वास्थ्य और समृद्धि पाते हैं
मौनी अमावस्या- इसमें मौन रहकर पाप नाश और आत्मा की शुद्धि की साधना करते हैं
वसंत पंचमी- इसमें ज्ञान और विद्या बुद्धि के लिए मां सरस्वती की उपासना करते हैं
जया एकादशी- इस दिन विशेष प्रयोग करने से ऋणों और दोषों से मुक्ति मिलती है
माघी पूर्णिमा- इस दिन शिव और विष्णु , दोनों की संयुक्त कृपा मिलती है
सुख शांति और समृद्धि के लिए पूजा
नित्य प्रातः भगवान् कृष्ण को पीले फूल और पंचामृत अर्पित करें. इसके बाद “मधुराष्टक” का पाठ करें या निम्न मंत्र का जाप करें. “श्री माधव दया सिंधो भक्तकामप्रवर्षण। माघ स्नानव्रतं मेऽद्य सफलं कुरु ते नमः॥” नित्य किसी निर्धन व्यक्ति को भोजन कराएं. सम्भव हो तो एक ही वेला भोजन करें.